अजब-गजब : आपकी मौत का समय बताएगा AI का माडल life2vec Death calculator, 78 प्रतिशत सटीक, खबर के अंदर लिंक पर करें क्लिक
हाइलाइट्स
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डेनमार्क टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया शोध
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इस मॉडल ने डेनमार्क के लोगों के व्यक्तिगत डेटा किए स्टडी
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नए मॉडल ने अपनी रिसर्च में करीब 78 फीसदी जवाब सटीक बताए
टीएनसी, संवाददाता
…….’ज़िंदगी तो बेवफ़ा है, एक दिन ठुकराएगी. मौत महबूबा है अपनी, साथ ले के जाएगी’। आप मुक़द्दर के कितने ही बड़े सिकंदर क्यों न हों, आप और आप के जानने वाले सारे लोगों की एक न एक दिन मौत होगी ही। अगर यह पता लग जाए की आपकी मौत कब होगी, तो आप जिंदगी में मरने से पहले वो सब काम कर सकेंगे जो आपने सोचे हों। कुछ ज्योतिषाचार्य दावा करते हैं कि भारतीय ज्योतिष पद्धति में मौत के दिन का पता लगाया जा सकता है। अब यही काम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से भी संभव बताया जा रहा है। हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक नया मॉडल तैयार किया गया है। इस माडल का नाम रखा गया Life2vec. डेनमार्क टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर शोध किया है । इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नए मॉडल ने डेनमार्क के लोगों के व्यक्तिगत डेटा को स्टडी किया है, जिससे पता चला है कि एआई का नया मॉडल किसी व्यक्ति की मरने की संभावना कितनी है, यह बता देगा। हालांकि thenewscaffee.com किसी भी प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं करता। इस संबंध में इनपुट और डाटा विभिन्न साइटस और न्यूज पोर्टल से एकत्र किया गया है।
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78 फीसदी सही आंकड़े
डेनमार्क में आई कि इस नए मॉडल के साथ 35 साल से लेकर 65 साल के लोगों पर टेस्ट किया। जिनमें से कुछ लोगों की मृत्यु लोग तो 2016 से 2020 के बीच हो चुकी थी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नए मॉडल ने अपनी रिसर्च में 78 फीसदी जवाब सटीक बताए थे।
अवश्य पढ़ें क्या कहते है रिर्सचर लेहमैन
अध्ययन के लेखक और डेनमार्क टेक्निकल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुने लेहमैन कह चुके हैं कि “हमने मूलभूत प्रश्नों को संबोधित करने के लिए मॉडल का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि यह अतीत की स्थितियों और घटनाओं के आधार पर आपके बारे में किस हद तक भविष्यवाणी कर सकता है?” उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक रूप से जो चीज रोमांचक है, वह भविष्यवाणी नहीं, बल्कि डाटा के पहलू हैं, जो मॉडल को ऐसे सटीक उत्तर देने में सक्षम बनाते हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि AI मॉडल 4 साल के अंदर किसी व्यक्ति के मरने की संभावना आदि से संबंधित प्रश्नों की भविष्यवाणी कर सकता है। हालांकि, वैज्ञानिकों ने नैतिक कारणों का हवाला देते हुए चेतावानी दी कि बीमा कंपनियों को इस मॉडल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। अगर बीमा कंपनी इसका इस्तेमाल करती हैं तो यह लोगों के लिए सही नहीं है।