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कल से श्राद्ध : 14 अक्टूबर तक पितृ पक्ष, जानें शुभ मुहूर्त

 

हाइलाइट्स

  • पितृ पक्ष के पहले दिन  11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त
  • शुभ मुहूर्त के बाद पितृ पक्ष की द्वितीया शुरू होगी, ध्रुव योग का निर्माण हो रहा

टीएनसी, संवाददाता


शिमला। कल से श्राद्ध शुरू हो रहे हैं। 29 सितंबर से लेकर 14 अक्टूबर तक पितृ पक्ष है। शुक्रवार को पहला पूर्णिमा श्राद्ध  है। पंचांग के अनुसार, शुभ मुहूर्त अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 30 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है। इसके बाद पितृ पक्ष की द्वितीया शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 1 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 41 मिनट तक है। पितृ पक्ष के दूसरे दिन ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण संध्याकाल 04 बजकर 27 मिनट तक है। पितृ पक्ष के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 47 मिनट से लेकर 12 बजकर 35 मिनट तक है। इस दौरान साधक अपने पितरों को तर्पण देते हैं। साथ ही पितरों का श्राद्ध कर्म और पिंडदान किया जाता है। धार्मिक मत है कि पितरों की पूजा करने से व्यक्ति को मृत्यु लोक में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।

 

जाने कब करें पूजा

पितृ पक्ष के दूसरे दिन राहुकाल 09 बजकर 12 मिनट से लेकर 10 बजकर 42 मिनट तक है। पंचक दिन भर है और दिशाशूल पूर्व है। पितृ पक्ष के दूसरे दिन दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक भगवान शिव जगत जननी आदिशक्ति मां गौरी के साथ रहेंगे। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं। शिव पुराण में निहित है कि भगवान शिव जब मां गौरी के साथ रहते हैं, तो उस समय महादेव का अभिषक करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है

 

कब कौन सा श्राद्ध


पूर्णिमा श्राद्ध – 29 सितंबर

प्रतिपदा श्राद्ध – 30 सितंबर

द्वितीया श्राद्ध – 1 अक्टूबर

तृतीया श्राद्ध – 2 अक्टूबर

चतुर्थी श्राद्ध – 3 अक्टूबर

पंचमी श्राद्ध – 4 अक्टूबर

षष्ठी श्राद्ध – 5 अक्टूबर

सप्तमी श्राद्ध – 6 अक्टूबर

अष्टमी श्राद्ध – 7 अक्टूबर

नवमी श्राद्ध – 8 अक्टूबर

दशमी श्राद्ध – 9 अक्टूबर

एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर

द्वादशी श्राद्ध – 11 अक्टूबर

त्रयोदशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर

चतुर्दशी श्राद्ध – 13 अक्टूबर

अमावस्या श्राद्ध – 14 अक्टूबर

पित्र पक्ष 2023 में रखें इन बातों का ध्यान

·         पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण का कार्य किसी योग विद्यान से ही कारवाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी सी गलती थी बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।

·         पितृ पक्ष में स्नान और दान का विशेष महत्व है। इसलिए यदि पवित्र स्थान का मौका नहीं मिल पाए तो घर पर ही पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। साथ ही पितृ पक्ष के दौरान जरूरतमंदों को अन्न धन या वस्त्र का दान करें।

·         पितृपक्ष में पशु-पक्षियों की सेवा करने से भी विशेष लाभ मिलता है, इसलिए पितृपक्ष की अवधि में कौए, गाय, कुत्ते आदि को घर में बने भोजन का कुछ अंश जरूर प्रदान करें। माना जाता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं।

Akhilesh Mahajan

“Work your craft; until it becomes an art form.”

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