पुरानी पेंशन योजना : पहली अप्रैल से एनपीएस का शेयर कटना बंद
हाइलाइट्स
- पेंशन नियम 1972 के तहत ओपीएस की अधिसूचना जारी
- दोनों पेंशन में से एक को चुनने के लिए विकल्प मांगे जाएंगे
- जीपीएफ कैसे कटेगा, इसकी प्रक्रिया पर अब हो रहा काम
- नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत कटने वाले शेयर पर भी रोक
टीएनसी संवाददाता
शिमला। पहली अप्रैल से प्रदेश के कर्मचारियों का नेशनल पेंशन सिस्टम का शेयर नहीं कटेगा। एनपीएस में प्रतिमाह 10 प्रतिशत शेयर कर्मचारी और 14 फीसदी सरकार की ओर से दिया जाता था। मंत्रिमंडल की बैठक में हुए इस फैसले की सोमवार को वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर दी है। पुरानी पेंशन बहाली की ओर सुक्खू सरकार का यह बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे करीब 1.36 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।अब जल्द ही पुरानी पेंशन बहाली की एसओपी जारी हो सकती है। कर्मचारियों से दोनों पेंशन में से एक को चुनने के लिए विकल्प मांगे जाएंगे। सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पुरानी पेंशन बहाली को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी गई थी, जो चुनावों के दौरान कांग्रस की ओर से दी गई दस गारंटियों में से एक थी। उधर, पुरानी पेंशन बहाली के तहत कर्मचारियों का जीपीएफ कैसे कटेगा, इसकी प्रक्रिया पर काम चला हुआ है।
सुक्खू सरकार ने प. लिखकर केंद्र से मांगे प्रदेश के 8000 करोड़ रुपए
सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल की पहली बैठक में पुरानी पेंशन बहाली को सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दी गई थी। हाल ही में मंत्रिमंडल की बैठक में एक अप्रैल से कर्मचारी और सरकार का एनपीएस शेयर नहीं देने का फैसला लिया था।इसी कड़ी में सोमवार को वित्त विभाग ने सीसीएस पेंशन नियम 1972 के तहत पुरानी पेंशन बहाल करने की अधिसूचना जारी कर दी है। नेशनल पेंशन सिस्टम के तहत कटने वाले शेयर पर भी रोक लगाने का फैसला लिया है। एनपीएस का पैसा केंद्र सरकार के अधीन पीएफआरडीए में जमा होता है। इस फंड के तहत हिमाचल प्रदेश के 8000 करोड़ रुपये केंद्र के पास जमा है। सुक्खू सरकार ने इस राशि को वापस देने के लिए बीते दिनों केंद्र सरकार को पत्र भी भेजा था हालांकि पीएफआरडीए ने पैसा देने से इंकार कर दिया है।