अब हिमाचल से रखी जाएगी विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन गलेश्यिर की हलचल पर नजर, हिमस्खलन का लगेगा सटीक पूर्वानुमान
हाइलाइट्स
-
स्नो – एवलांच सेंसर्स के लिए भारत मे पहली अनशांकन प्रयोगशाला मनाली स्थित DGRE में की गई स्थापित
-
सियाचिन गलेयर से लेकर उत्तर पूर्व भारतीय सीमावर्ती हिमालय तक लगे सैंसरों की होगी मॉनिटरिंग
-
बाढ़, हिमस्खलन और ग्लेशियर जैसी प्राकृतिक आपदाओं के और बेहतर व सटीक पूर्वानुमान मिलेंगे
-
भारतीय सेना के लिए पाकिस्तान और चीन की गोली से खतरनाक सियाचिन में हिमस्खलन, सैकड़ों गवां चुके हैं जान
अखिलेश महाजन
मनाली। विश्व के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में देश की रक्षा कर रही भारतीय फौज के लिए पाकिस्तान और चीन की गोली से खतरनाक स्नो एवालांच हैं। हिमस्खलन (Snow-Avalanche) की चपेट में आकर कई भारतीय सैनिक शहीद हो चुके हैं। लेकिन अब इस कुदरती कहर के सटीक पूर्वानुमान से सियाचिन ग्लेशियर से उत्तर पूर्व भारतीय सीमावर्ती हिमालय तक भारतीय सेना के जवानों को संभलने का मौका मिल सकेगा। यह संभव होगा अनशांकन प्रयोगशाला से, जिसे हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थापित कर दिया गया है। यह विश्वस्तरीय प्रयोगशाला स्नो – एवलांच सेंसर्स के लिए भारत मे पहली लैब है। खास बात यह है कि सियाचिन ग्लेशियर से उत्तर पूर्व भारतीय सीमावर्ती हिमालय में स्थापित आटोमेटिक वेदर स्टेशन्स के सेंसरों को यहीं से कैलिब्रेट किया जाएगा, जो ग्लेश्यिर और हिमस्खलन का पूर्वानमान लगाते हैं। इस लैब से पूर्वानुमान सटीकता और गुणवत्ता पहले से कहीं अधिक होगी।
-
रक्षा अनुसंधान एव विकास संगठन (DRDO) और रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE) इस लैब का रखरखाव और इसे संचालित करेंगे। डीआरडीओ के महानिदेशक एवं विशिष्ट वैज्ञानिक डॉ. शैलेन्द्र वी. गाडे ने बताया कि भारत की यह पहली लैब है।अनशांकन प्रयोगशाला हिम-अवधाव (Snow-Avalanche) तथा मौसम संबंधित आंकड़े एकत्रित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सेन्सर को कैलिब्रेट करने की प्रयोगशाला व सुविधा है।
-
डॉ. प्रमोद कुमार सत्यवली, वैज्ञानिक एवं निदेशक रक्षा भू-सूचना विज्ञान अनुसंधान प्रतिष्ठान (DGRE) मनाली ने बताया कि इस प्रयोगशाला से अब हम नियमित अन्तराल अथवा आवश्यकता अनुसार जब चाहे स्नो तथा मौसम संबंधी सेंसर्स को कैलिब्रेट करके एकत्रित होने वाले आंकड़ों की सटीकता एवं गुणवत्ता बनाए रख सकेंगे।
-
डॉ. नीरज शर्मा, परियोजना निदेशक अनशांकन ने कहा कि इससे हम बाढ़, हिम-स्खलन और ग्लेशियर संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के और बेहतर व सटीक पूर्वानुमान तथा चेतावनियों को जारी कर सकेंगे।
DGRE मनाली में इस लैब को स्थापित किया गया है। सियाचिन ग्लेशियर से उत्तर पूर्व भारतीय सीमावर्ती हिमालय पर स्थापित बहुत से आटोमेटिक वेदर स्टेशन्स के सेंसरों को यहीं कैलिब्रेट किया जाएगा।
अश्विनी कुमार आचार्य, प्रभारी कैलिब्रेशन लैब