Himachal: राजधानी शिमला के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में सरकार ने भवन निर्माण के नियम और कड़े
हाइलाइट्स
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एक भी हरा या सूखा पेड़ है, वहां हर निर्माण पर प्रतिबंध
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अधिसूचना सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होगी
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अनुमति मिलने के बाद ही लागू किया जाएगा
टीएनसी, संवाददाता
शिमला। मानसून में भारी तबाही का दंश झेल चुकी राजधानी शिमला के ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में सरकार ने भवन निर्माण के नियम और कड़े करने का फैसला लिया है। जाखू हिल्स में ग्रीन कवर का संरक्षण करने के लिए ऐसे प्लॉट जिनमें एक भी हरा या सूखा पेड़ है, वहां हर निर्माण पर प्रतिबंध रहेगा। ऐसे प्लॉटों को भी ग्रीन प्लॉट माना जाएगा, जिन पर सूखे या हरे पेड़ को काटा या गिराया गया हो। उन प्लॉटों पर भी निर्माण कार्य की अनुमति नहीं होगी। अभी यह अधिसूचना सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत होगी और शिमला डेवलपमेंट प्लान को न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद ही लागू किया जाएगा।
शिमला डेवलपमेंट प्लान के नियमों को और कड़े करने के थे निर्देश
अप्रैल, 2022 में पूर्व भाजपा सरकार ने शिमला डेवलपमेंट प्लान को मंजूरी दी थी। ड्राफ्ट अधिसूचना में डेढ़ मंजिल तथा पार्किंग बनाने का प्रावधान था। सर्वोच्च न्यायालय ने शिमला डेवलपमेंट प्लान को अधिसूचित करने की अनुमति कुछ माह पहले प्रदान की। प्रदेश में आई आपदा को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इन नियमों को और कड़ा करने के निर्देश दिए। इसी को देखते हुए कैबिनेट की 11 अक्तूबर को हुई बैठक में ग्रीन बेल्ट में निर्माण के प्रावधान और कड़े किया गए हैं।
नालों से पांच मीटर और खड्डों से सात मीटर छोड़कर भवनो निर्माण
नगर नियोजन व नगर एवं ग्राम नियोजन नियमों हो रहा है। इस संशोधन की मार उन लोगों पर पड़ेगी, जिनके प्लॉट चार बिस्वा व इससे कम के हैं। अब उन्हें नालों और खड्डों से ज्यादा जमीन छोड़कर भवनों का निर्माण करना पड़ेगा। पहले नालों से तीन मीटर और खड्डों से पांच मीटर छोड़कर भवनों का निर्माण करना होता था। अब मंत्रिमंडल ने इसे पांच और सात मीटर किया है। छोटे प्लॉट मालिकों को भवन बनाने के लिए अब अतिरिक्त जमीन खरीदनी पड़ेगी। कुल्लू, धर्मशाला, मंडी, शिमला, मंडी, मनाली में लोगों ने नालों और खड्डों के किनारे सैकड़ों प्लॉट खरीदे हैं।
अवैध निर्माण पर जूनियर इंजीनियर-वास्तुकार की जवाबदेही
मानसून में जो नुकसान हुआ है, वह मकान व दुकानें खड्डों-नालों के किनारे ही बनी हुई थीं। जगह-जगह बादल फटने से इन नालों में पानी आ गया। ऐसे में अब सरकार ने भवन बनाने के नियमों में संशोधन करने का फैसला लिया है। अवैध निर्माण पर जूनियर इंजीनियर-वास्तुकार की जवाबदेही होगी तय हिमाचल में अवैध निर्माण को रोकने के लिए टीसीपी, नगर निगम व शहरी निकायों के जूनियर इंजीनियर और वास्तुकार की जवाबदेही तय होगी। अगर खड्डों और नालों के किनारे बिना नियमों के भवनों का निर्माण होता है तो भवन मालिक के साथ साथ इन पर भी कार्रवाई होगी।