हाइलाइट्स
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प्रदेश सरकार ने बहस के लिए समय मांगा
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अदालत ने तय किया अगली सुनवाई का दिन
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मामले में पहले कांग्रेस सरकार को लगा है झटका
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मेंटेनेबल नहीं बताने की याचिका हुई है खारिज
टीएनसी, संवाददाता
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट में सोमवार को डिप्टी सीएम और मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्ति के मामले की सुनवाई हुई। प्रदेश सरकार ने बहस के लिए समय मांगा और अदालत ने अब चार नवंबर को सुनवाई रखी है। सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने सरकार ने दलील दी थी कि दिल्ली से उनका सीनियर एडवोकेट इस मामले में बहस करेगा। इसपर अदालत ने तिथि तय की है।
बीजेपी के विधायकों की ओर से इस केस की पैरवी कर रहे सत्यपाल जैन ने यह जानकारी दी है। बता दें कि पिछले सप्ताह हाईकोर्ट हिमाचल सरकार की उस दलील को खारिज कर चुका है, जिसमें सुक्खू सरकार ने भाजपा विधायकों की याचिका को मेंटेनेबल नहीं बताया था। बीजेपी के 11 विधायकों ने सीपीएच की नियुक्तियों को लेकर कोर्ट में चुनौती दे रखी है। याचिका में नियुक्तियों को असंवैधानिक बताया गया है। आरोप लगाया है कि सरकार को यह पता है कि सुप्रीम कोर्ट ने असम और मणिपुर में संसदीय सचिव की नियुक्ति के लिए बनाए गए अधिनियम को गैर कानूनी ठहराया है। बावजूद इसके हिमाचल सरकार ने नियुक्ति की है।
आरोप लगाया गया है कि सभी लाभ के पदों पर तैनात है जिन्हें प्रतिमाह 2,20,000 रुपए बतौर वेतन और भत्ते के रूप में अदा किया जाता है। याचिका में हिमाचल संसदीय सचिव (नियुक्ति, वेतन, भत्ते, शक्तियां, विशेषाधिकार और सुविधाएं) अधिनियम, 2006 को निरस्त करने की गुहार लगाई गई है।भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। प्रदेश में सीपीएस को नियुक्ति देने के पश्चात मंत्रियों की संख्या में 15 फीसदी से अधिक की वृद्धि हो गई है। पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था के अनुसार, इसलिए सीपीएस की नियुक्ति रद्द होनी चाहिए।
कांग्रेस सरकार ने इन्हें बना रखा है सीपीएस
मुख्यमंत्री सुक्खू ने अर्की से विधायक संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल बराक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सीपीएस बना रखा है।