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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के संघर्ष में जोगेंद्रनगर के 22 कार सेवकों ने झेली यातनाएं, गिरफतारी के बाद भी कार सेवकों के हौंसले थे बुलंद

 

  • 30 अक्तूबर 1990 में उत्तर प्रदेश के सहारनपूर में गिरफतारी के बाद 4 दिसंबर 1992 में विवादित ढांचे को गिराने में उम्र दराज कार सेवकों का भी महत्वपूर्ण रहा योगदान

राजेश शर्मा


जोगेंद्रनगर(मंडी)।अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के संघर्ष में मंडी जिला के जोगेंद्रनगर के 22 कार सेवकों ने यातनाएं झेली और गिरफतारी के बाद भी उनका मनोबल नहीं टूटा। 30 अक्तूबर 1990 को हरिद्वार में आयोजित महा संत सम्मेलन के मुख्य अध्यक्ष मंहत अवैद्यानाथ गौरखपूर ने जब कार सेवकों को मंदिर के निर्माण का ऐलान किया तो मंडी जिला के जोगेंद्रनगर से 30 अक्तूबर 1990 को कार सेवकों के पहले जत्थे की अगुवाई करते हुए दिवंगत रामस्वरूप शर्मा, शिव चंद, अमृत लाल और कार सेवक सुनील दत, तारा चंद समेत जत्थे में शामिल कार सेवकों ने मंडी जिला से होते हुए अयोध्या के लिए रवाना हुए। इनके साथ जोगेंद्रनगर से ही संबंध रखने वाले कार सेवक जोगिंद्र पाल शर्मा भी अपने सहपाठियों के साथ 19 साल की आयु में जब मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या रवाना हुए तो उन्हें उत्तर प्रदेश के सहारनपूर में ही गिरफतार कर लिया गया। शुक्रवार को खास बातचीत में यह सारी जानकारी कार सेवक जोगिंद्र पांडे ने सांझी करते हुए बताया कि जब वह 19 साल के थे तो वह अपने 6 सहपाठियों के साथ अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए रवाना हुए लेकिन उन्हें सहारनपूर की एक अस्थायी जेल में पांच दिनों तक डिटेन कर लिया गया। इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को 18 लोगों का जत्था देर शाम 6 बजकर 15 मिनट पर जोगेंद्रनगर बस अड्डे से नालागढ़ बस में बाया सरकाघाट होते हुए जब चंडीगढ़ प्रातः साढ़े पांच बजे पहुंचे और यहां से अंबाला के लिए बस में सवार होकर आठ बजे पहुंचे। 12 बजे अयोध्या के लिए रेलगाड़ी में बैठ गए और पांच दिसंबर को सुबह फैजाबाद रेलवे स्टेशन में पहुंचकर उन्होंने यहां पर मौजूद कार सेवकों के पंजीकरण करवाया। इसके बाद हिमाचल प्रदेश के कार सेवकों के लिए चिन्हित स्थल में पहुंचने के बाद 6 दिसंबर को सुबह पांच बजे करीब नौ किलोमीटर का पैदल सफर तय करने के बाद वह विवादित ढांचे के करीब सौ मीटर दूर कार सेवकों के काफिले में शामिल हुए। बताया कि उनके साथ मौजूद जोगेंद्रनगर के कार सेवकों ने जब विवादित ढांचे को गिराने का प्रयास किया तो उन्हें मौके पूर मौजूद पुलिस ने यातनाएं भी दी लेकिन उनका मनोबल नहीं टूटा और वट वृक्ष का सहारा लेते हुए जब विवादित ढांचे में भगवां ध्वज लहरा दिया गया तो हजारों कार सेवकों में भी जोश भर आया और बिना अस्त्र, शस्त्र से विवादित ढांचे पर बने तीन गुंबदों को शाम 6 बजे तक गिराने के बाद कार सेवकों ने एक मंदिर का भी निर्माण कर पूजा अर्चना की। दो दिन अयोध्या में डेरा जमाने के बाद जब दस दिसंबर को जोगेंद्रनगर पहुंचे तो भारतीय मजदूर संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह राठौर की अगुवाई में कार सेवकों का भव्य स्वागत भी हुआ।

अयोध्या में संघर्ष में जोगेंद्रनगर के इन कार सेवकों ने झेली थी यातनाएं


कार सेवक जोगिंद्र पांडे से मिली जानकारी के अनुसार दिवंगत रामस्वरूप शर्मा, कैप्टन गंगा सिंह विष्ठ, शिव चंद, निर्भय जम्वाल, देश राज ठाकुर ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के संघर्ष में यातनाएं झेली थी। कार सेवक तारा चंद, सुनील दत, अनिल ठाकुर, रूप चंद, हेम सिंह वर्मा, राम चंद्र, नरेश भंडारी, देश राज ठाकुर, कश्मीर, केहर सिंह, जय सिंह ठाकुर, आंनद जी, चतर सिंह, पाल सिंह ठाकुर ने भी अयोध्या में मंदिर के निर्माण को लेकर अपना अहम योगदान दिया। बताया कि अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो गया है। इसकी प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देश के करोड़ों राम भक्तों व कार सेवकों में बेहद खुशी का माहौल है।

 

Akhilesh Mahajan

“Work your craft; until it becomes an art form.”

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